सिसकियाँ
बहुत तेज़ रुलाई के फूटने के साथ और आँसूओं के सूख जाने के बाद ये उभरती है। खामोशी और सन्नाटे के बीच ये डूबी-दबी-चिपकी हुई बड़ी रुलाई की छोटी बहन है। ये निज़ी है और दबाव को कम करने के इशारे के साथ होती है। ये नाक के हकलाने से ज़िंदा होती है और सांस के अंदर जाते ही मर जाती है। ये छाती से ऊपर के हिस्से में कंपन को जन्म देती है। ये छोटी उम्र की मेहमान है। अकेलेपन को पूरी तरह से भुनाती है। ये आंतरिक अहसासों के साथ होती है।
translation: soft sobbing – a sound from inside the body as feelings tighten and release the breath
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