word of the week: सिसकियाँ

सिसकियाँ

बहुत तेज़ रुलाई के फूटने के साथ और आँसूओं के सूख जाने के बाद ये उभरती है। खामोशी और सन्नाटे के बीच ये डूबी-दबी-चिपकी हुई बड़ी रुलाई की छोटी बहन है। ये निज़ी है और दबाव को कम करने के इशारे के साथ होती है। ये नाक के हकलाने से ज़िंदा होती है और सांस के अंदर जाते ही मर जाती है। ये छाती से ऊपर के हिस्से में कंपन को जन्म देती है। ये छोटी उम्र की मेहमान है। अकेलेपन को पूरी तरह से भुनाती है। ये आंतरिक अहसासों के साथ होती है।

translation: soft sobbing – a sound from inside the body as feelings tighten and release the breath

follow @delhilisteners on twitter for listening word of the week #dlgwow

लाजपत नगर

      lajpat-nagar-market

जगह – लाजपत नगर सेंट्रल मार्किट ( नई दिल्ली )
समय – शाम 4:30 बजे
दिनांक – 30 मार्च 2013

सभी आवाज़ों के साथ एक और आवाज़ यहाँ के माहौल को गुथे जा रही थी। हल्की नीली पोशाक एक हाथ में डंडा और दूसरे हाथ में सीटी लिए वो पूरी जगह में नुकीली पी.. पी…पी. पी… की आवाज़ के साथ घूमे जा रहा था। वो कभी भीड़ को सीटी मार-मार कर खुद के होने को जाहिर करता तो कभी हाथ में रखे डंडे को जमीन पर तीन-चार बार ठक्-ठक्-ठक्-ठक् की आवाज़ के साथ खुद के लिये जगह बनाता हुआ आगे निकल जाता।

इस जगह में उसकी पी-पी… की ये आवाज़ सभी को चौकन्ना रखती और चेतावनी का अहसास माहौल डाल रही थी। जैसे ही वो गार्ड  पीपी… पी. करता हुआ लाजपत नगर सेंट्रल मार्किट में दाख़िल होता तो उस जगह के कई दृश्य टूटते और बदलते हुए नजर आते।

बाज़ार में किसी जगह पर लगी भीड़ टुकड़ों में बिखर जाती, रास्ते पर खड़े लोग किनारे हो लेते, ख़ानाबदोश ठिये फिर कंधो पर चढ़ जाते। लोगों को सचेत करती उसकी सीटी और डंडे की ज़ुबान जैसे ही आगे निकल जाती माहौल पहले की तरह सामान्य हो जाता।

विक्की

word of the week: कराहना

कराहना

यह शरीर के असहय दर्द के संकेत की अस्पष्ट आवाज़ है जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कराहने वाला शारीरिक पीड़ा और तड़प में है। कराहना बिना शब्दों के शरीर की आवाज़ है। कराहने में बड़बड़ाने की भी परछाई आवाज़ छुपी है।

translation: groan – the inarticulate rattle of the body voicing pain

follow @delhilisteners on twitter for listening word of the week #dlgwow

word of the week: हुल्लड़

हुल्लड़

यानि जब युवा समुह अपने पूरे जोश और मज़े को आवाज़ों की तेजी से व्यक़्त करता है। इसमें आवाज़ें और शरीर दोनों ही एक साथ काम करते हैं। हुल्लड़ ‘हल्ला’ को शारीरिक भाषा में ले आने का भी शब्द हैं। जैसे – हल्ला मचाना और हुल्लड़ करना कथनी से करनी की ओर ले जाता है जिसमें आवाज़ पूरे शरीर की मस्ती को व्यक़्त करती है। शायरों नें इसे जवानी की आवाज़ भी कहा है।

Hard to translate: ‘Hullad’ is the collective noise of a group of 5-6 rowdy young men celebrating.

follow @delhilisteners on twitter for listening word of the week #dlgwow

word of the week: कानाफूसी

कानाफूसी

कानाफूसी यानि कानों में फुस -फुसा-हट। ये मुँह से और मुँह के नजदीक कानों को जोड़ने वाली आवाज़ है। कई बार ये एक ही शख़्स तक सीमित नहीं रहता पर स्वर की मात्रा/आवाज़ों की ऊँचाई-निचाई/उतार-चढ़ाव उतनी ही रहती है जितना दो के लिए चाहिए। यहां कान महत्वपूर्ण है यानि पूरी कोशिश इसमें रहती है कि आवाज़ कान के बाहर न जाए। कानाफूसी अफवाह, साजिश, गॉसिप और चुगली के संदर्भ में ज़्यादा इस्तेमाल होता है। इसमें आवाज़ों की अस्पष्टता और हड़बड़ाहट की वजह से नये अर्थ गढ़ने की संभावनाएं ज़्यादा रहती है।

follow @delhilisteners on twitter for listening word of the week #dlgwow